Friday, October 2, 2015

|| कान्हा फेर एक नजर ||

कान्हा फेर एक नजर 


तेरी बांकी नजर का असर हो गया
मेरा कान्हा नजर हम नजर हो गया |
प्रेम मंदिर पुजारन का घर हो गया
मेरा कान्हा नजर हम नजर हो गया ||
सुध नहीं अब कोई , ना कोई साज है
गीत भी अब तू ही तू ही आवाज है
तू ही श्रृंगार तू ही संवर हो गया |
मेरा कान्हा नजर हम नजर हो गया ||
प्रेम धुन बांसुरी जब बजाये कहीं,
रास के भाव मन में जगाए कहीं
नृत्य ही नृत्य शाम-ओ -शहर हो गया |
मेरा कान्हा नजर हम नजर हो गया ||
मन में तेरी रटन बस तू ही है भजन,
कर्म भी अब तू ही धर्म तेरे वचन
दुनिया दारी से मै बेखबर हो गया |
मेरा कान्हा नजर हम नजर हो गया ||
प्रेम स्वीकार कर भव से अब पार कर,
मन में एक तू बसा मुझसे ही प्यार कर
मोह संसार का बेअसर हो गया |
मेरा कान्हा नजर हम नजर हो गया ||
तू अगर है मालिक तो मै तुझसे जुड़ा,
राह पर मै तेरी हर कदम पर पड़ा
तेरे हर अक्स का मुख़्तसर हो गया |
मेरा कान्हा नजर हम नजर हो गया ....||



धर्मार्थ. वार्ता समाधान. में सप्रेम समर्पित
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई  
8828347830  

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