जीव ईश्वर की ओर तभी प्रेरित होता है जब उसके पूर्व जन्मों के पुण्यों का उदय होता है. भागवत महापुराण के अनुसार ईश्वर प्रेम का सीधा सम्बंध हमारे पूर्व जनमो के पुण्यों से है. जीव जितनी कम आयु में प्रभु भक्ति की ओर आकर्षित होता है, वह उतना ही अधिक भाग्यशाली होता है. प्रभु जिन जीवों को अधिक स्नेह करते हैं, उनेह अपने सान्निधय में रखते हैं. ऐसे जीव अति भाग्यशाली होते हैं और मुक्ति द्वार के बहुत करीब होते है. साधारण जीव तो संसार के मायाजाल में फंसे होने के कारण प्रभु नाम से दूर रेहटे हैं. ऐसे जीव वृधहा अवस्था में ही केवल प्रभु की ओर आकृष्ट होते हैं जो मुक्ति नही दिला सकता. सो, अच्छा यही है की जीवन में ईश्वर से सम्बंध छोटी आयु से ही स्थापित कर लिया जाये. संत के लक्षण बचपन से ही दिखाई पड जाते हैं.
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
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