Thursday, February 11, 2016

शेष, गनेश, दिनेश, महेश, सुरेसहु जाके निरंतर ध्यावेँ !
आदि अनादि अनंत अखंड, अभेद अछेद सुवेद बतावेँ !
नारद से सुनि व्यास थके, पचि हारि गए तहोँ भेद न पावेँ !
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भर छाछ पे नाच नचावेँ !
लाय समाधि रहे ब्रम्हादिक, जोगी भये पर अंत न पावेँ !
साँझ ते भोरहिँ भोर ते सांझहि, सेस सदा नित नाम जपावैँ !
ढूँढे फिरै तिरलोक में साख ,सुनारद ले कर बिन बजावैँ !
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भर छाछ पे नाच नचावेँ !
गूँज गरे सिर मोरपखा अरु, चाल गयंद की मो मन भावै !
साँवरो नंदकुमार सबै, ब्रज मंडली में ब्रजराज कहावै !
साज़ समाज सबै सिरताज, ओ लाज की बात नहीं कही आवै !
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भर छाछ पे नाच नचावेँ !
!! जय जय कृष्ण कन्हैया लाल की !!🌹🙏🌹

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