Thursday, February 11, 2016

हृदय की पीड़ा को, प्रेम रस वीणा को,

प्रकट हो जाने दो, आज मुझे गाने दो!

नयनों के बादर से, भावों के सागर से,

बरस अब जाने दो, आज मुझे गाने दो!

प्रीतम के प्रीत को, मेरे हर गीत को,

एक हो जाने दो, आज मुझे गाने दो!

जग के कुरीत को, बंधन की रीत को,

टूट अब जाने दो, आज मुझे गाने दो!

सुरभित पवन को, पल्लिवत चमन को,

गीत गुनगुनाने दो ,आज मुझे गाने दो!

चाँद और चकोर को, वर्षा और मोर को,

मिल अब जाने दो, आज मुझे गाने दो!

झील के किनारों से , मस्त नजारों से,

स्वर को लहराने दो, आज मुझे गाने दो!

बसंत सुगंत को, पुष्प और मकरंद को,

बिखर अब जाने दो, आज मुझे गाने दो!

No comments:

Post a Comment