Sunday, February 28, 2016

भगवान को ''सुमन''और  ''नमन''दोनों ही बहुत प्रिय है, इसलिए प्रभु को सुमन समर्पित करके नमन किया जाता हैं...

सुमन का अर्थ केवल पुष्प ही नहीं होता,
सुमन का तात्पर्य-
सु +मन = सुंदर मन से भी है,
अर्थात- सुन्दर मन ही सुमन है,
भगवान धन नहीं माँगते वे हमसे हमारा सुन्दर मन ही माँगते हैं....

जब हम आराध्य के चरणों में सिर झुकाते हैं नमन करते हैं तब
न मन होते हैं हम
न= नहीं  मन 
अर्थात
उस समय हमारा मन हमारा नहीं होता, प्रभु का होता है,जब मन प्रभु में होगा तो न हर्ष होगा न शोक होगा, आंनद ही आनंद होगा..!!!!

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