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ऋणशेषं चाग्निशेषं व्याधिशेषं तथैव च । पुन: पुन: प्रवर्धते तस्मान्छेषं न कारयेत ।। शेष बचा हुअा ऋण, शेष अग्नि तथा शेष रोग पुन: पुन: बढते हैं । इन्हें शेष नहीं छोड़ना चाहिए । शौनकीयनीतिसार सुप्रभातम् । आपका दिन शुभदिन हो । संकलित💐👏🏻
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