Thursday, February 11, 2016

🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺

ऋणशेषं चाग्निशेषं व्याधिशेषं तथैव च ।
पुन: पुन: प्रवर्धते तस्मान्छेषं न कारयेत ।।
शेष बचा हुअा ऋण, शेष अग्नि तथा शेष रोग पुन: पुन: बढते हैं । इन्हें शेष नहीं छोड़ना चाहिए । शौनकीयनीतिसार
सुप्रभातम् । आपका  दिन शुभदिन हो । संकलित💐👏🏻

No comments:

Post a Comment