आज बसंती रंग छा गया,...कुछ बिछुड़े हुये अपनों के घर आने से
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प्रकृति पालकी पर चढकर,देखो ये मधुमास आ गया!
विदा हुआ हेमंत आज पर सबमें बसंती रंग छा गया!!
आज हुई साकार कल्पना, सारी धरती कुञ्ज बन गई!
विधु बैनी के पीत वसन पर,अम्बर की द्रष्टि थम गई!!
मलय पवन ने विजन डुलाया, तरुओं की तंद्रा टूटी!
भौरें गुंजन गान कर उठे, फूलों की लज्जा छूटी!!
ढलने लगे पात वृक्षों से,जैसे नभ से तारे टूटे!
मित्र सभी झर गए पुराने,नए सभी खुशियाँ मिल लूटें!!
अमुओं के सिर मौर बाँधकर,महक व्याह लाइ अमराई!
कोयल की खुल गई समाधि,खग दल की बारात बौराई!!
सरसों की पीली साड़ी संग,हरी किनारी लगी नाचने!
खेत बन गए आज नव-वधु,पहिन लिए धरती ने गहने!!
किलकारी भर हरी डालियाँ, कण-कण में आई तरुणाई!
सांझ दान में लेकर जाती,फूलों के तन की अरुणाई!!
रात माधवी श्वेत चाँदनी, धरती का श्रंगार चूमती!
भोर सूर्य की किरने आकर,कमल वृक्ष पर नित्य झूमती!!
नर-नारी पशु पाखी सब की,गली-गली गलहार बन गई!
धरती की छाती अनंग के, मादक का संसार बन गई!!
सहरन व्यापी अंग-अंग ली,किंसुक कुसुमो ने ले अंगडाई!
लाल देह ऐसी सुलगी ज्यों, जले अनल न बुझे बुझाई!!
गंगा तट चरणों को छूने, लहरों ने भी होड लगाई!
कालिंदी के नील सलिल के,आज कृष्ण की याद सताई!!
खुशी हँसी जब सिरहाने तो, पीड़ा का संसार भा गया!
बैठा रहा विरह द्वारे पर,मिलन खुशी के गीत गा रहा!!
प्रकृति पालकी पर चढकर,देखो"धीर"मधुमास आ गया!
विदा हुआ हेमंत आज पर, सबमें बसंती रंग छा गया!!
Thursday, February 11, 2016
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