Thursday, February 11, 2016

🌹उठो विवेकानन्द तुम्ही तो भारत के निर्माता हो ।🌹
स्वामी विवेकानन्द का जन्म आज ही के दिन 12 जनवरी सन् 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अँग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढर्रे पर चलाना चाहते थे। परन्तु उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था।

नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से ही बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे पहले ब्रह्म समाज में गए परन्तु वहाँ उनके चित्त को सन्तोष नहीं हुआ। वे वेदान्त और योग को पश्चिम संस्कृति में प्रचलित करने के लिये महत्वपूर्ण योगदान देना चाहते थे।

दैवयोग से विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। घर का भार नरेन्द्र पर आ पड़ा। घर की दशा बहुत खराब थी। अत्यन्त दरिद्रता में भी नरेन्द्र बड़े अतिथि-सेवी थे। वे स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते स्वयं बाहर वर्षा में रात भर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते।

स्वामी विवेकानन्द अपना जीवन अपने गुरूदेव रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर चुके थे। उनके गुरूदेव का शरीर अत्यन्त रूग्ण हो गया था। गुरूदेव के शरीर-त्याग के दिनों में अपने घर और कुटुम्ब की नाजुक हालत व स्वयं के भोजन की चिन्ता किये बिना वे गुरू की सेवा में सतत संलग्न रहे।

अमरीका में हुए सर्वधर्म सभा में उन्होंने अपने पहले भाषण से ही दुनिया को भारत की आध्यात्मिक शक्ति का परिचय दिया। स्वामी विवेकानन्द के ही प्रयासों से दुनिया को गुलाम भारत के इस अनमोल खजाने का पता चला जिसके बाद पूरे विश्व में शांति पाने के लिए भारत से सीखने की होड़ शुरु हो गई।

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