Thursday, February 11, 2016

आप सभी प्रिय प्रभु प्रेमियों... को शुभ संध्या नमो नम:🌹🙏🌹वाकई में श्री कृष्ण जी की लीलायें तो अपरम्पार है... माखन की चोरी में जब कभी ये छोटे से श्यामसुन्दर गोपियों द्वारा पकड़ लिये जाते तो वे गोपियाँ छोटे से कन्हैया से यूँ कहती-

एक गोपी सुशीला ने कहा :  "क्यों रे कनुआ... आज आये हो पकड़ में...... तेरी मैया तो हमारी बात का विश्वास नहीं करती... आज तुम्हे रंगे हाथो पकड़ा हैं... चल अब तुम्हे तुम्हारी मैया के पास ले चलती है... वो कहती है, मेरे लल्ला के घर में क्या माखन की कमी हैं, जो वो तेरे घर में माखन चोरी करने जायेगा...."

यह सुन नटखट श्यामसुंदर को एकाएक कुछ उत्तर न सुझा और कहने लेगे : " वो मैं....वो मैं...."

दूसरी गोपी सकुन्तला ने उनकी बात को बीच में ही काटते हुए कहा : "अच्छा मेरी कुशलक्षेम पूछने आये थे... मैं तो ठीक हूँ... अच्छा यह बताओ माखन खाओगे...."

नटखट श्यामसुंदर ने कहा : "हाँ काकी, दो न माखन... और ठंडी ठंडी छाछ भी देना... बहुत प्यास लग रही हैं..." 

सुशीला ने कहा : "हमारी एक शर्त हैं....तुम हम सभी को चुम्बन दोगे और हमारे साथ नृत्य करोगे तभी माखन देंगी..."

नटखट श्यामसुंदर ने जब सुशीला के इन वचनों को सुना तो लज्जा से आँखों को नीचे झुका इस प्रकार कहने लगे : "काकी, मुझे लाज आती है..."

एक गोपी संगीता ने कहा : "ओ ओह... लाज आती है... माखन चोरी करते हुए लाज नहीं आती तुम्हे..."

नटखट श्यामसुंदर ने सोचा, अब इनके चुंगल में फंस गया हूँ, अब कोई चारा नहीं, ये जैसे बोलेंगी., मुझे वैसे ही करना पड़ेगा...

ऐसा सोच उन्होंने इसप्रकार कहा : "ठीक है !! होले होले लेना.....और एक एक करके लेना... मेरे गाल बहुत ही कोमल हैं, छिल न जाये... "

तत्पश्चात समस्त ग्वालिनो ने उनका एक एक करके वास्तल्य भाव के साथ उनका चुम्बन लिया.....वास्तव में वे गोपियाँ तो श्री श्यामसुंदर की इन लीलाओ का आनंद उठाना चाहती थी... मैया यशोदा के पास उनकी शिकायत करना तो बस एक बहाना मात्र था...

जब सभी ने एक एक कर चुम्बन ले लिया अब नटखट श्यामसुंदर इस प्रकार कहने लगे : " अच्छा अब मुझे छाछ पिलाओ और माखन खिलाओ..."

इसपर गोपी सुशीला ने उनको छाछ पिलाई और माखन भी खिलाया...

तत्पश्चात एक गोपी सुमित्रा ने कहा : "अरे ओ कान्हा... मैने सुना है कि, तुझे बहुत ही सुन्दर नृत्य करने आता है.....आज हमे भी अपना नृत्य दिखाओ न... फिर हम तुम्हे और भी छाछ देंगी और ढ़ेर सारा माखन भी देंगी.... "

बिचारे छोटे से नटखट श्यामसुंदर उन ग्वालिनो के चुंगल में अच्छे से फंस चुके थे...

ऐसा सुन नटखट श्यामसुंदर ने मन ही मन कुछ सोच कर कहा : "हाँ आता तो है....परन्तु नृत्य करने के बाद मेरी कमर लचक जाती हैं... ठीक है, अगर तुम लोग इतनी प्रार्थना कर रही हो तो थोड़ी देर नृत्य कर लूँगा....परन्तु तुम लोग भी मेरे साथ नृत्य करना..."

ऐसा कह सभी ग्वालिने नटखट श्यामसुंदर के साथ नृत्य करने लगी.... श्यामसुंदर उनके बीच में थे और वे सभी उनके चारो और गोलाकार चकरी बनाकर नृत्य करें लगी...

नृत्य के बीच में ही नटखट श्यामसुंदर ने कहा : " मैं थक गया हूँ , थोरी सी छाछ पिला दो "

यह सुन सुशीला ने उनको छाछ पिलाया और वे सभी फिर से नृत्य करने में मग्न हो गए.....

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