मर्यादा का मतलब किसी एक की अपनी जिंदगी से नही बल्कि अपने उस पूरे समाज से है जिसमे हम रह रहे हैं और वो उस पर निर्भर करता है . और समय समय पर समाज में परिवेर्तन होते आये है जैसे की राजा दसरथ के समय में समाज में बहुविवाह प्रचलित था जबकि राम ने सिर्फ १ विवाह करके उस समय के समाज में परिवर्तन लाया और लोग इससे बहुत प्रभावित हुए और एक विवाह की ओर प्रेरित हुए शायद यहाँ से ही वे मर्यादित कहलाने लगे थे चूँकि उन्होंने उस समय के समाज को प्रभावित किया था .मर्यादा के अनेक उदाहरण हैं लेकिन हमे यह सर्वोच्च समझ मे आया, समाज को एक अच्छा मार्गदर्शन कराना समाज की बूराइयों को दूर करना ही मर्यादा का मूल रूप है
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