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एक बार एक शिष्य ने अपने गुरू से पूछा की
गुरूदेव ! सत्संग सुनने इतने लोग आते हैं,
क्या सभी लोग प्रभु के दर्शन कर पाते है ?
गुरूने मुस्कराकर कहा,
एक जमीन होती वहाँ कुछ भी नही उगता.
दुसरी जमीन जहॉ घास तो उघती है मगर सुखकर जल
जाती है.
और तीसरी जमीन खेती कहते है,
वहॉ जो उगाओ वही पैदा होता है.
लेकीन उसके लिये
वक्त पर पानी और धूप की जरूरत होती है.
ठिक इसी तरह जो पर्मारथ की राह पे नही चलते
वो बंजर जमीन की तरह है.
जो सत्संग मे आते तो है मगर ध्यान नही देते वो अमल
नही करते हैं, वो सुखी घास की तरह हैं
पैदा तो होती है मगर किसी काम की नही।
जो सत्संग मे आते है अपने जीवन मे अमल करते है और प्रभु के गुणगान
गाते है, वो खेती की तरह जो उगाओ
पैदा होता है।
वही इंसान प्रभु के दर्शन कर सकता है।
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Friday, January 20, 2017
एक बार एक शिष्य ने अपने गुरू से पूछा की गुरूदेव !
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