Wednesday, January 25, 2017

धर्मार्थ वार्ता

[1/22, 21:04] ‪+91 94751 18880‬: त्याग
[1/22, 21:08] पं ऊषा जी: तो त्याग भावना का कारण व्यर्थता कैसे होसकता है?
[1/22, 21:09] ‪+91 94751 18880‬: भावना का
[1/22, 21:12] ‪+91 94751 18880‬: व्यर्थे सति कश्चन सर्वं विसर्जयित्वा तूष्णीं भूत्वा अन्यत्र गच्छति
[1/22, 21:13] पं ऊषा जी: तदानीं न तत् वैराग्यं, त्यागो वा... सा अशक्तता भवति।
[1/22, 21:15] पं ऊषा जी: वैराग्यभावना तु विवेकात् जायते। जगतः अशाश्वतत्त्वं विज्ञाय चेतसः स्वयमेव निवृत्तिर्भवति.. सा निवृत्तिः वैराग्यबीजं भवति।
[1/22, 21:15] ‪+91 94751 18880‬: तर्हि एतत् कर्म तु न सदाचारो वा
[1/22, 21:17] पं ऊषा जी: सर्वविसर्जनं यदि अविवेकात् जायते, न तस्य वैराग्येन शान्त्या वा सम्बन्धः।
[1/22, 21:18] पं ऊषा जी: सदाचारः दुराचारो वेति विवेकाविवेकप्रसङ्गेन ज्ञायते।
[1/22, 21:20] ‪+91 94751 18880‬: अविवेकात् कथम्। ज्ञानतः त्यजामि चेत्
[1/22, 21:21] पं ऊषा जी: तर्हि ज्ञानेन त्यागे कृते तत्र सदाचारे कः प्रश्नः??
[1/22, 21:22] पं ऊषा जी: कथं वैराग्ये सदाचारराहित्यं, वैयर्थ्यं चाक्षिप्यते??
[1/22, 21:23] ‪+91 94751 18880‬: ज्ञानतः सदाचारो न जायते वा
[1/22, 21:24] पं ऊषा जी: तदेवाहं पृच्छामि। भवानेव किल वदति, वैयर्थ्यंन वैराग्यो जायते इति।
[1/22, 21:26] ‪+91 94751 18880‬: व्यर्थता अज्ञानतः जातः किल
[1/22, 21:29] पं ऊषा जी: प्रारम्भ वाक्य-- व्यर्थता किल वैराग्यस्य कारणम् ??? ----
इदानीम्-- व्यर्थता अज्ञानतः जातः किल..
मया किं वक्तव्यम्??
[1/22, 21:30] पं ऊषा जी: यद् अज्ञानतः जायते, तत् वैराग्यं कथं भवति??
[1/22, 21:35] ‪+91 94751 18880‬: अभिप्रायो हि प्रमादो व्यर्थता वा अज्ञानतः ज्ञानतः वा
[1/22, 21:36] पं ऊषा जी: भवान् वदतु
[1/22, 21:37] ‪+91 94751 18880‬: मन्येहम् अज्ञानतः
[1/22, 21:39] ‪+91 94751 18880‬: तर्हि ज्ञानागमे वैराग्यम् न भवति वा
[1/22, 21:40] पं ऊषा जी: ज्ञाने प्राप्ते सति एव वैराग्यं भवति।
[1/22, 21:41] ‪+91 94751 18880‬: तर्हि व्यर्थता अज्ञानतः
[1/22, 21:43] पं ऊषा जी: आम्।
[1/22, 21:44] ‪+91 94751 18880‬: भवदभिप्रायाः मत्समीपे न तु स्पष्टाः
[1/22, 21:46] पं ऊषा जी: भवतु नाम। मया यावच्छक्ति स्पष्टमेवोक्तम्।
अयं न ममाभिप्रायः। वैराग्यं विवेकात् जायते इति शास्त्रवाक्यम्।
अस्तु। अहं मत्पक्षतः विरमामि।
शुभं भूयात्।
[1/22, 21:47] ‪+91 94751 18880‬: व्यर्थमानवविशेषस्य वैराग्ये प्रवेशाधिकारो नास्ति????
[1/22, 21:54] ‪+91 94751 18880‬: विवेको नाम किं केवलं हि अयमहं क्षुद्रमानवः असौ ब्रह्मेति भेदज्ञानमेव ?
[1/22, 22:04] पं ऊषा जी: विवेकः, पुं, परस्परव्यावृत्त्या वस्तुस्वरूपनिश्चयः ।
प्रकृतिपुरुषयोर्विभागेन ज्ञानं इत्यन्ये । इति भरतः ॥ तत्पर्य्यायः । पृथगात्मता २ । इत्य-मरः ॥
विवेचनम् ३ । इति शब्दरत्नावली ॥
पृथग्भावः ४ । इति धरणिः ॥
“विवेको वस्तुनो भेदः प्रकृतेः पुरुषस्य वा ॥” इति जटाधरः ॥
यथा । नित्यानित्यवस्तुविवेकस्तावत् ब्रह्मैव नित्यं वस्तु ततोऽन्यदखिलमनित्यमिति विवेचनम् ।
इति वेदान्तसारः ॥
(यथा, मनौ । १ । २६ ।
“कर्म्मणाञ्च विवेकार्थं धर्म्माधर्म्मौ व्यवेचयत् ॥”)
जलद्रोणी । विचारः । इति मेदिनी ॥ (यथा,
मनौ । १ । ११२ ।
“तस्य कर्म्मविवेकार्थं शेषाणामनुपूर्ब्बशः ॥”)
[1/22, 22:05] पं ऊषा जी: अस्तु। शुभा भवतु शर्वरी।
[1/22, 22:07] ‪+91 94751 18880‬: अवैराग्यतः दोषा न तु शुभम् इति मे मति😥😭😭😭😭
[1/22, 22:09] ‪+91 94751 18880‬: विवेकज्ञानस्य वैराग्यमार्गं उद्यतामिति चेदुपकृतवन्तः
[1/22, 22:58] ‪+91 94751 18880‬: वारम्वारं प्रकृतप्रयत्नेsपि विद्यालाभादिविषये व्यर्थतया तद्विषयेsहं किञ्चत् निरुत्साही भवामि।केचित् वदन्ति एतत्तु न वैराग्यलक्षणम्। अस्तु तावत् । यदि तत्र पाण्डित्येन साफल्यतया देशेषु गौरवोज्ज्वलस्थानं आप्नोमि, तस्मिन् काले मम मनसि त्यागादिविशेषो न जातः। पूर्वकाले उत्पन्नो निरुत्साहरूपभावो यत् परवर्त्तिनि काले प्रावल्यतया वैराग्यरूपिभेदादिव्यापारे यथा सर्वमनित्यं,नेति नेति इत्यादिवचनाश्रित्य जगन्मातुरभिमुखे धावति तस्मिन् एव काले किञ्चिदपि मातुरनुग्रहः प्राप्यते यः खलु वैराग्येsनुकूलं स्यादिति मे क्षुद्रा मतिः। एतत्तु सरलमिति।अन्यथा वादिनः पन्थाः तु अत्युत्तमः इति अत्युत्तमानां कृते इति मे क्षीणमतिरिति शम्
[1/23, 00:05] ‪+91 96859 71982‬: अत्युत्तमः 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
मोहिनी स्वर से स्वागत अभिनंदन किया गया जिसके लिए मैं सदैव आभारी रहूँगी आप सबकी एवं इन सुरीली बहनों की और अपना यथा योग्य समय निकालकर आप सबसे कुछ ज्ञानार्जन करने का प्रयास करूँगी क्योंकि आजीवन अध्ययन कर सकता है प्राणी जिससे कुछ अर्जन ही होता है यह झोली कभी परिपूर्ण रूप से नहीं भर पाती जितना संचय करें उतना ही कम प्रतीत होता है इसलिए इसे समुद्र की उपमा दे तो अच्छा है मेरे मत से।
आचार्य श्रेष्ठ ओमीश जी को साधुवाद जो कि एक विद्वत समूह में स्थान दिया इसके लिए शत-शत नमन। 🙏🏼🙏🏼श्री राधे 🙏🏼🙏🏼
[1/23, 00:23] ‪+91 98239 16297‬: *सूर्यसिद्धांतीय देशपांडे दैनिक पंचांग-- २३ जानेवारी २०१७*

***!!श्री मयूरेश्वर प्रसन्न!!***
☀धर्मशास्त्रसंमत प्राचीन शास्त्रशुद्ध सूर्यसिद्धांतीय देशपांडे पंचांग (पुणे) नुसार
दिनांक २३ जानेवारी २०१७
पृथ्वीवर अग्निवास दिवसभर.
राहु मुखात १४:०९ नंतर केतु मुखात आहुती आहे.
शिववास कैलासावर,काम्य शिवोपासनेसाठी शुभ दिवस आहे.
☀ *सूर्योदय* -०७:१४
☀ *सूर्यास्त* -१८:१८
*शालिवाहन शके* -१९३८
*संवत्सर* -दुर्मुख
*अयन* -उत्तरायण
*ऋतु* -शिशिर (सौर)
*मास* -पौष
*पक्ष* -कृष्ण
*तिथी* -एकादशी
*वार* -सोमवार
*नक्षत्र* -अनुराधा (१४:०९ नंतर ज्येष्ठा)
*योग* -वृद्धि (१५:३२ नंतर ध्रुव)
*करण* -बव (११:०२ नंतर बालव)
*चंद्र रास* -वृश्चिक
*सूर्य रास* -मकर
*गुरु रास* -तुळ
*राहु काळ* -०७:३० ते ०९:००
*पंचांगकर्ते*:सिद्धांती ज्योतिषरत्न गणकप्रवर
*पं.गौरवशास्त्री देशपांडे-०९८२३९१६२९७*
*विशेष*-षट्तिला एकादशी (उपवास),या दिवशी पाण्यात चमचाभर गाईचे दूध व तीळ घालून स्नान करावे.शिव कवच व विष्णु सहस्रनाम या स्तोत्रांचे पठण करावे."सों सोमाय नमः" या मंत्राचा किमान १०८ जप करावा.सत्पात्री व्यक्तिस साखर व तीळ दान करावे.शंकराला व विष्णुंना श्रीखंडाचा नैवेद्य दाखवावा.यात्रेसाठी घरातून बाहेर पडताना दूध व तीळ प्राशन करुन बाहेर पडल्यास प्रवासात ग्रहांची अनुकूलता प्राप्त होईल.
www.facebook.com/DeshpandePanchang
*टीप*-->>सर्व कामांसाठी चांगला दिवस आहे.
**या दिवशी भात खावू नये.
**या दिवशी पांढरे वस्त्र परिधान करावे.
♦ *लाभदायक वेळा*-->>
लाभ मुहूर्त-- दुपारी ३.३० ते सायं.५
अमृत मुहूर्त-- सायं.५ ते सायं.६.३०
|| *यशस्वी जीवनाचे प्रमुख अंग* ||
|| *सूर्यसिध्दांतीय देशपांडे पंचांग* ||
आपला दिवस सुखाचा जावो,मन प्रसन्न राहो.
(कृपया वरील पंचांग हे पंचांगकर्त्यांच्या नावासहच व अजिबात नाव न बदलता शेअर करावे.या लहानश्या कृतीने तात्त्विक आनंद व नैतिक समाधान मिळते.@copyright)
[1/23, 00:24] ‪+91 96859 71982‬: चल रही वार्ता  विषय के उत्तर में वाद-प्रतिवाद को पढकर मन प्रसन्नता की अनुभूति कर रहा था। मुझे ज्यादा ज्ञान तो नहीं है न मेरा ये विषय में मैं आप सबकी छोटी बहन हूँ ठाकुर कृपा से गुरुजी के आदेश का पालन कर रही हूँ जो कि कभी-कभी छोटी कथाएँ करने का सौभाग्य प्राप्त हो जाता है।
फिर भी इतना समझ में आया कि ऊषा दीदी के द्वारा दिया हुआ उत्तर प्रायः सत्य है।
हमारे वश में किसी को संतुष्ट कर पाना हो ये जरूरी नहीं क्योंकि व्यक्ति तो कभी-कभी खुद से भी संतुष्ट नहीं हो पाता। हमारे साथ भी होता है ऐसा कि हम खुद से श्रवण कराई हुई कथा से असंतुष्ट रहते है मन में क्षोभ रहता है। तो दूसरे को कैसे संतुष्ट कर पाएंगे सबकी मति एक समान नहीं होती इसलिए धार्मिक चर्चाओं में मर्यादित वाद-प्रतिवाद अत्यावश्यक है।
👇👇👇👇
"वादे-वादे जायते तत्वबोधः "
पूज्य श्री शंङ्कराचार्य जी
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
इसलिए आप दोनों विभूतियों को सादर नमन 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
[1/23, 00:25] व्यास u p: युधिष्ठर को था आभास कलुयुग में क्या होगा ?

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पाण्डवों का अज्ञातवाश समाप्त होने में कुछ समय शेष रह गया था।

पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल मे छूपने का स्थान ढूंढ रहे थे,

उधर शनिदेव की आकाश मंडल से पाण्डवों पर नजर पड़ी शनिदेव के मन में विचार आया कि इन सब में बुद्धिमान कौन है परिक्षा ली जाय।

शनिदेव ने एक माया का महल बनाया कई योजन दूरी में उस महल के चार कोने थे, पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण।

अचानक भीम की नजर महल पर पड़ी
और वो आकर्षित हो गया ,

भीम, यधिष्ठिर से बोला- भैया मुझे महल देखना है भाई ने कहा जाओ ।

भीम महल के द्वार पर पहुंचा वहाँ शनिदेव दरबान के रूप में खड़े थे,

भीम बोला- मुझे महल देखना है!

शनिदेव ने कहा- महल की कुछ शर्त है ।

1- शर्त महल में चार कोने हैं आप एक ही कोना देख सकते हैं।
2-शर्त महल में जो देखोगे उसकी सार सहित व्याख्या करोगे।
3-शर्त अगर व्याख्या नहीं कर सके तो कैद कर लिए जाओगे।

भीम ने कहा- मैं स्वीकार करता हूँ ऐसा ही होगा ।

और वह महल के पूर्व छोर की ओर गया ।

वहां जाकर उसने अद्भूत पशु पक्षी और फूलों एवं फलों से लदे वृक्षों का नजारा देखा,

आगे जाकर देखता है कि तीन कुंए है अगल-बगल में छोटे कुंए और बीच में एक बडा कुआ।

बीच वाला बड़े कुंए में पानी का उफान आता है और दोनों छोटे खाली कुओं को पानी से भर देता है। फिर कुछ देर बाद दोनों छोटे कुओं में उफान आता है तो खाली पड़े बड़े कुंए का पानी आधा रह जाता है इस क्रिया को भीम कई बार देखता है पर समझ नहीं पाता और लौटकर दरबान के पास आता है।

दरबान - क्या देखा आपने ?

भीम- महाशय मैंने पेड़ पौधे पशु पक्षी देखा वो मैंने पहले कभी नहीं देखा था जो अजीब थे। एक बात समझ में नहीं आई छोटे कुंए पानी से भर जाते हैं बड़ा क्यों नहीं भर पाता ये समझ में नहीं आया।

दरबान बोला आप शर्त के अनुसार बंदी हो गये हैं और बंदी घर में बैठा दिया।

अर्जुन आया बोला- मुझे महल देखना है, दरबान ने शर्त बता दी और अर्जुन पश्चिम वाले छोर की तरफ चला गया।

आगे जाकर अर्जुन क्या देखता है। एक खेत में दो फसल उग रही थी एक तरफ बाजरे की फसल दूसरी तरफ मक्का की फसल ।

बाजरे के पौधे से मक्का निकल रही तथा
मक्का के पौधे से बाजरी निकल रही । अजीब लगा कुछ समझ नहीं आया वापिस द्वार पर आ गया।

दरबान ने पुछा क्या देखा,

अर्जुन बोला महाशय सब कुछ देखा पर बाजरा और मक्का की बात समझ में नहीं आई।

शनिदेव ने कहा शर्त के अनुसार आप बंदी हैं ।

नकुल आया बोला मुझे महल देखना है ।

फिर वह उत्तर दिशा की और गया वहाँ उसने देखा कि बहुत सारी सफेद गायें जब उनको भूख लगती है तो अपनी छोटी बछियों का दूध पीती है उसे कुछ समझ नहीं आया द्वार पर आया ।

शनिदेव ने पुछा क्या देखा ?

नकुल बोला महाशय गाय बछियों का दूध पीती है यह समझ नहीं आया तब उसे भी बंदी बना लिया।

सहदेव आया बोला मुझे महल देखना है और वह दक्षिण दिशा की और गया अंतिम कोना देखने के लिए क्या देखता है वहां पर एक सोने की बड़ी शिला एक चांदी के सिक्के पर टिकी हुई डगमग डोले पर गिरे नहीं छूने पर भी वैसे ही रहती है समझ नहीं आया वह वापिस द्वार पर आ गया और बोला सोने की शिला की बात समझ में नहीं आई तब वह भी बंदी हो गया।

चारों भाई बहुत देर से नहीं आये तब युधिष्ठिर को चिंता हुई वह भी द्रोपदी सहित महल में गये।

भाइयों के लिए पूछा तब दरबान ने बताया वो शर्त अनुसार बंदी है।

युधिष्ठिर बोला भीम तुमने क्या देखा ?

भीम ने कुंऐ के बारे में बताया

तब युधिष्ठिर ने कहा- यह कलियुग में होने वाला है एक बाप दो बेटों का पेट तो भर देगा परन्तु दो बेटे मिलकर एक बाप का पेट नहीं भर पायेंगे।

भीम को छोड़ दिया।

अर्जुन से पुछा तुमने क्या देखा ??

उसने फसल के बारे में बताया

युधिष्ठिर ने कहा- यह भी कलियुग में होने वाला है वंश परिवर्तन अर्थात ब्राह्मण के घर शूद्र की लड़की और शूद्र के घर बनिए की लड़की ब्याही जायेंगी।

अर्जुन भी छूट गया।

नकुल से पूछा तुमने क्या देखा तब उसने गाय का वृतान्त बताया ।

तब युधिष्ठिर ने कहा- कलियुग में माताऐं अपनी बेटियों के घर में पलेंगी बेटी का दाना खायेंगी और बेटे सेवा नहीं करेंगे ।

तब नकुल भी छूट गया।

सहदेव से पूछा तुमने क्या देखा, उसने सोने की शिला का वृतांत बताया,

तब युधिष्ठिर बोले- कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा परन्तु धर्म फिर भी जिंदा रहेगा खत्म नहीं होगा।।  आज के कलयुग में यह सारी बातें सच साबित हो रही है ।।

बहुत शोध करने के बाद आपके समक्ष रखा है मैंने आशा करता हूँ 🙏 कि आप इसे और भी लोगों तक पहुचायेंगे !!!!!!!
[1/23, 09:39] प सुभम्: 🌻🍃🍃🍃🌺🍃🍃🍃🌻
प्रेम से भरी हुईं *" आँखें "*🤗
*" श्रद्धा "* से झुका हुआ सर,🙏
सहयोग करते हुऐ *" हाथ "*, 👏🏻
सन्मार्ग पर चलते हुए *" पाँव "*
और सत्य से जुडी हुई *" जीभ "*,
*ईश्वर को बहुत पसंद है ।*
     !!सुप्रभात !!💐💐
[1/23, 09:42] ओमीश: ।। श्री हरि:।।
कृपया ध्यान दें...
ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमदजगद्गुरु शंकराचार्य    श्री स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज जी का आगमन माघ मास पर्व के शुभ अवसर पर प्रयाग में हो रहा है।
पूज्यपाद का प्रवास 24 जनवरी से लेकर 2 फ़रवरी तक माघ मेला क्षेत्र में त्रिवेणी रोड पर स्थित अपने शिविर में रहेगा।
25 व 26 जनवरी को राष्ट्र व धर्म प्रेमियों का एक विशेष सम्मेलन आयोजित है।
संपूर्ण सनातन धर्मप्रेमियों से निवेदन है कि वे इस अवसर पर पधार कर पुण्य अर्जन करें।
            
निवेदक- धर्मसंघ ,पीठ परिषद, अदित्यवाहिनी, अनंदवाहिनी, राष्ट्रोत्कर्षअभियान, हिन्दूराष्ट्रसंघ, सनातन सन्त समिति ।

प्रेषक
प्रशान्त कुमार मिश्र
प्रदेश महामंत्री- अदित्यवाहिनी उत्तरप्रदेश
9473629941

( सूचना सर्वत्र प्रसारित करें। )
[1/23, 11:05] पं सत्यशु: ——————————————
        *स्नेह वंदना शुभ प्रभात* 💥💐🌻🌺🌺🌻💐💥—
जीवन में किसी का भला करोगे,
तो लाभ होगा…
*क्योंकि भला का उल्टा लाभ  होता है* ।
और
जीवन  में किसी पर दया करोगे,
*तो वो याद करेगा…*
*क्योंकि दया का उल्टा याद होता है।*
🙏🌷🐚🌹🌺🐚🙏🌷🌷🌺🙏
कुए में उतरने वाली बाल्टी यदि
झुकती है,
तो भरकर बाहर आती
*जीवन का भी यही गणित है,*
*जो झुकता है वह*
*प्राप्त करता है…*
*।।। आपका दिन मंगलमय हो!॥*
🌺🌞🌞🌞🙏🌷🙏🌞🌞🌞🌺
[1/23, 11:09] पं सत्यशु: 🙏🌹🙏

*अभ्यास हमें बलवान बनाता हैं* ,
    *दुःख हमें इंसान बनाता हैं*,
  *हार हमें विनम्रता सिखाती हैं*,
              *जीत हमारे*
     *व्यक्तित्व को निखारती है*,

                  *लेकिन*
         *सिर्फ़ विश्वास ही है*,
                  *जो हमें*
    *आगे बढने की प्रेरणा देता है*.

              *इसलिए हमेशा*
*अपने लोगों पर अपने आप पर* 
         *और अपने ईश्वर पर*
      *विश्वास रखना चाहिए
*🙏 आप का दिन शुभ हl   🙏💐🙏
[1/23, 11:10] ‪+91 96859 71982‬: त्याग कब करना चाहिए ?                       
तीन बातें 👇👇👇
१ .जब वस्तु,व्यक्ति , परिस्थिति में बहुत आसक्ति है तब बाहरी त्याग से लाभ नहीं ,उल्टा मानसिक चिंतन बढ़ने से नुकसान ही होगा !यह मोह दशा है !               २.जब आसक्ति कुछ कम है ,तब वस्तु,व्यक्ति और परिस्थिति सामने होने पर जुड़ जाते है पर दूर रहने पर कोई खिंचाव नहीं होता ,यह साधक के लिए बाहरी त्याग का सही अवसर है !                                                      ३. जब वस्तु,व्यक्ति ,परिस्थिति में रहकर भी कोई आसक्ति नहीं है ,यह सिद्ध अवस्था है,इसमें कोई प्रयास नहीं साथ हो या अलग ,सदा मुक्त ही है !                                           मोह दशा में सेवा भाव से कर्म ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकेगा !

गीताजी ३/६ से १०       
                                                 
कृष्ण प्रेमी-कनिका✍🏻
[1/23, 13:05] पं ऊषा जी: 🙏🌷🙏
गीत और गाने की सेवा की महिमा- स्कान्द पुराण में- काशीखण्ड में - आठवे अध्याय में
गीतविद्याप्रभावेन देवर्षिर्नारदो महान् ।
मान्यो वैष्णवलोके वै श्रीशम्भोश्चातिवल्लभः ॥26॥

तुम्बुरुर्नारदश्चोभौ देवानामतिदुर्लभौ ।
नादरूपी शिवः साक्षान्नादतत्त्वविदौ हि तौ ॥27॥

यदि गीतं क्वचिद्गीतं श्रीमद्धरिहरान्तिके ।
मोक्षस्तु तत्फलं प्राहुः सा न्निध्यमथवा तयोः ॥28॥

गीतज्ञो यदि गीतेन नाप्नोति परमं पदम् ।
रुद्रस्यानुचरो भूत्वा तेनैव सह मोदते ॥29॥
[1/23, 13:18] ओमीश: सादर प्रणिपात 🙏🙏
आपके पहले भी एक प्रश्न पडा हुआ है जब तक पहले प्रश्न का उत्तर नहीं हो जाता तब तक पटल पर दूसरा प्रश्न आना परिवार के नियमों को ठेस पहुंचाने जैसा है। कृपा करके आप भी आए हुए प्रश्न का समाधान करने की कृपा करें नारायण क्योंकि इस परिवार के आप भी अद्वितीय विद्वत सदस्य हैं अतः इस परिवार को अपना मानकर हम सबका साथ दे। 🙏🙏🙏
[1/23, 13:21] ‪+91 94751 18880‬: न न एवन्तु न। मान्यवराणां कृते प्रश्नोsयमुपस्थापयामि। कृपया समाधानं साध्यताम्।
[1/23, 13:38] पं ऊषा जी: भ्रातः,  किञ्चिद्विवक्षामि। नान्यथा भाव्यताम्। ब्रह्मादिविषयजिज्ञासा नात्र कार्या। तस्मै गुरुः परिप्रश्ने सेवया च उपगम्यः। ब्रह्म-ब्राह्मणयोः भेदविषयज्ञानात् पूर्वं ब्रह्म कः, ब्राह्मणः कः इति सम्यग् ज्ञातव्यम्। एवं वाट्साप्-पटल-चर्चाविषयः नास्ति सः।
[1/23, 13:51] ‪+91 94751 18880‬: एवन्तु प्रश्नेषु परिपृच्छा नष्टा जाता। समाधानावकाशः कुत्र?????
[1/23, 13:52] ‪+91 94751 18880‬: प्रश्नेषु एताद्ऋशी निषेधाज्ञा कथम्
[1/23, 13:53] ‪+91 94751 18880‬: प्रश्नेषु भेद्यता कथम्
[1/23, 13:53] पं ऊषा जी: अस्तु। द्रक्ष्यामः। वाट्साप् उपरि एवं ब्रह्म-चर्चा कः करिष्यतीति। अहं मध्ये ना आपतामि। यदि कोपि अस्य प्रश्नस्य समाधानं कर्तुमिच्छति चेत् करोतु। यद्रोचते भवते तत् करोतु।
[1/23, 13:54] पं ऊषा जी: यः कोपि वस्तुतः अश्य प्रश्नस्य समाधानं जानाति, सः कदापि एवं वाट्साप्-भाषणमाध्यमेन तत्समाधानं नाचरति। अतः अनुभवेन वदामि। भवान् न जानाति, अतः तथा वदति। एवं प्रश्नः एव भवतः अज्ञानं दर्शयति। किमन्यत् कार्यम्???
[1/23, 13:59] पं ऊषा जी: शुचिर्भूत्वा, गुरुजन-शुश्रूषापूर्वकं, सत्य-धर्मादि-नियमान् पालयन्, विनयेन गुरोः समीपमुपगम्य स्थित्वा शनैः शनैः ज्ञातव्यविषया एते।  अतः तथोक्तम्मया। कोपः मास्तु।

1 comment:

  1. राजा शर्याति की पत्नि का नाम बताने की कृपा करें

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