Friday, January 20, 2017

तनीयांसं पांसुं तव चरणङ्केरुहभवं विरिन्चिः

तनीयांसं पांसुं तव चरणङ्केरुहभवं
विरिन्चिः संचिन्वन्विरचयति लोकानविकलम् ।
वहत्येनं शौरिः कथमपि सहस्त्रेण शिरसां
हरः संक्षुद्यैनं भजति भसितोद्धूलनविधिम्

अर्थ -  माँ आपके कमल समान श्रीचरणों में लग्न सूक्ष्मातिसूक्ष्म रज की कृपा से ब्रह्मा निरन्तर विश्व की सृष्टि में तत्पर रहते है । भगवान विष्णु स्वयं शेषावतार धारण कर अपनें सहस्त्रों सिरों से आपकी चरण धूलि से उत्पन्न समस्त लोको को सप्रयत्न धारण करते है । भगवान भूतभावन शिव स्वयं तुम्हारी पदधूलि को सम्यक् रूप से भस्मीकृत कर अपनें अङ्गों में लगा लेते है । इस तरह ब्रह्मा , विष्णु , महेश तीनों मूर्ति पराशक्ति की आराधना कर कृतकृत्य हो जाते है ।

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