Thursday, March 23, 2017

करिष्यामि करिष्यामि करिष्यामीति चिन्तया |

करिष्यामि करिष्यामि करिष्यामीति चिन्तया  |
मरिष्यामि मरिष्यामि मरिष्यामीति विस्मृतं   ||

महासुभषितसंग्रह(८७८७)

🌹🌷✍ *भावार्थ:*🌷🙏👇🏼

मैं यह  कार्य करूंगा , वह कार्य करूंगा  या मुझे वह कार्य  करना
है , इस प्रकार की चिन्तायें करते करते मनुष्य यह भी भूल जाता है कि उसकी 
मृत्यु किसी भी क्षण हो सकती है |

(इस सुभाषित के माध्यम से मनुष्य को यह  चेतया गया है कि उसका शरीर
नश्वर है और कभी भी उसकी मृत्यु हो सकती है |  अतः उसे  अपने दैनन्दिन
व्यहार में  इतना लिप्त नहीं  होना चाहिये  कि वह परमार्थ  ( धर्माचरण तथा
प्राणिमात्र के प्रति दया भाव आदि कर्तव्यों ) को  भूल जाय | )

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