Monday, March 6, 2017

सा रसना ते नयने तामेव करौ स एव कृतकृत्यः ।

*ॐ नमः शिवाय*
सा रसना ते नयने तामेव करौ स एव कृतकृत्यः ।
या ये यौ यो भर्गं वदतीक्षेते सदार्चतः स्मरति ॥
– शिवानन्दलहरी
अर्थ : वह जीभ नहीं यदि वह सतत हरि सुमिरन न करे | वह नेत्र नहीं जोसभीमें ईश्वरके स्वरूपका दर्शन न कर पाए | वह हस्त नहीं जो ईश्वरके शरणागतहोकर जुडे नहीं !! यदि कर्म करते हुए अखंड ईश्वरका स्मरण हो तभी समझें कुछसेवा हुई |

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