Saturday, March 4, 2017

मार्च ४-३-२०१७

[3/4, 12:49] पं रोहित: -- स्वार्थ प्रबल है --

संसार इतना स्वार्थी है कि मनुष्य का चमड़ा यदि किसी काम में आता होता तो चमड़ी खिंचवाकर चिता पर भेजता।
इसमें लेश - मात्र भी सन्देह नहीं है। जब तक लोगों का स्वार्थ सिद्ध होता है तभी तक सब मान - सम्मान और अनुराग दिखाते हैं। भगवान् आदि - शंकराचार्य ने ठीक कहा है :-

यावत् वित्तोपार्जन सक्तः
तावन्निज परिवारो रक्तः।
पश्चाद्धावति जर्जर देहे
वार्ता कोऽपि न पृच्छति गेहे॥
-- अर्थात्, जब तक धन कमाने की सामर्थ्य है, सब तक अपने स्वजन कुटुम्बी लोग भी अनुराग करते हैं। फिर जब वृद्धावस्था आती है और शरीर जीर्ण - शीर्ण हो जाता है, तब घर में उससे कोई बात भी नहीं पूछता। इसलिए -

'भज गोविन्दं' 'भज गोविन्दं'। 'भज गोविन्दं मूढ़ मते॥
-- हे अज्ञानी! मतिमन्द जीव! भगवान् का भजन कर।

-- ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराज ज्योतिर्मठ, बदरिकाश्रम
#जयश्रीसीताराम
[3/4, 13:02] ओमीश Omish Ji: धर्मार्थ वार्ता समाधान संघ में नवागन्तुक महोदय श्रीमान् सुभाषचंद्र शर्मा जी तथा अग्रज शिवा त्रिपाठी जी का मैं ओमीश इस धर्मार्थ रुपी उपवन में हार्दिक स्वागत वंदन तथा अभिनंदन करता हूँ और आशा करता हूँ कि आप सदैव इस परिवार को अपना मानकर हम सबको अनुग्रहीत करते रहेंगे 🙏🙏🌸🌹🌷🌺🌻🌷🌷🌸🌸🌹🌺🌺🌺🌸🌸🌸💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
[3/4, 13:22] ओमीश Omish Ji: धर्मार्थ वार्ता समाधान संघ में नवागन्तुक महोदय श्रीमान् नीरज पाराशर जी का इस उपवन में हार्दिक स्वागत वंदन तथा अभिनंदन करता हूँ 🙏🌷🌹🌸🌺🌷🌹🌻🌻🌺🌺🌹🌹🌸🌸💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
[3/4, 13:37] ओमीश Omish Ji: प्रमुख नियम👇
1- किसी भी तरह के वीडियो तथा फोटो पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।
2- राजनीतिक पोस्टों का भेजना हमारे समूह की मर्यादा भंग करने का परिचायक है।
3- चुटकुले तथा कसम वाले मैसेज न भेजें इसमें समिति बाहर करने का निर्णय ले सकती है।
4- धार्मिक पोस्टों के आवागमन के साथ-साथ धर्मार्थ प्रश्नोत्तर में भी अपने विचार रखे जो कि शास्त्र विरूद्ध न हो 🙏🙏
[3/4, 13:48] ‪+91 98975 65893‬: *ब्रज में विश्वविख्यात होली के मुख्य आयोजन*

5 मार्च - बरसाना में लड्डू होली

6 मार्च - बरसाना में लठामार होली

7 मार्च - नंदगांव में लठामार होली

8 मार्च - श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर होली,मथुरा

8 मार्च - बांके बिहारी मन्दिर में होली, वृन्दावन

9 मार्च - गोकुल में छड़ीमार होली

13 मार्च - द्वारिकाधीश मन्दिर में उत्सव ,मथुरा

14 मार्च - बल्देव (दाऊजी) में कोड़ामार हुरंगा

    🙏दर्शन करने अवश्य पधारे🙏

*आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)*
[3/4, 13:54] ‪+91 78602 64878‬: पुनः आप सभी का धन्यवाद ज्ञापित करता हूं
आप लोगो का स्नेह निश्चित ही प्रसंसनीय है ।।
जयतु संस्कृतं जयतु भारतम
[3/4, 17:43] ‪+91 78602 64878‬: धर्मशास्त्रोक्तरीत्या नारीणामधिकार विमर्श:
एतत विषये चर्चाम कर्तुम शक्यते

उपरोक्तविषये स्वगंतम अत्र भवतां सर्वेषाम।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[3/4, 18:37] P Alok Ji: सेवक सेब्य भाव बिनु भव न तरिअ उरगारि ।भजहु राम पद पंकजअस सिद्धांत बिचारि।।
जो चेतन कहं जड.करइ जड.हि करइ चैतन्य।अस समर्थ रघुनायकहि भजहि जीव ते धन्य ।। हे सर्पों के सत्रु गरूणजी मै सेवक हू और भगवान मेरे स्वामी हैं इस भाव के बिना संसार से तरना नही हो सकता ऐसा सिद्धांत विचारकर श्री राम चन्द्रजी के चरणों का भजन कीजिये जो चेतन को जड कर देते हैं और जड को चेतन ऐसे समर्थ रघुनाथजी को जो जीव भजते हैं वे धन्य हैं । पिबत रामचरितमानस रसम् श्रद्धेय आलोकजी शास्त्री इन्दौर मप्र
[3/4, 18:42] प विजय विजयभान: लोभमूलानि पापानि संकटानि तथैव च।
लोभात्प्रवर्तते वैरं अतिलोभात्विनश्यति ||
लोभ पाप और सभी संकटों का मूल कारण है, लोभ शत्रुता में वृद्धि करता है, अधिक लोभ करने वाला विनाश को प्राप्त होता है। लालची व्यक्ति पर कोई विश्वास नही करता , और करना भी नही चाहिये || लोभ से काम आता ,काम से क्रोध ,क्रोध से बुद्धि नाश ,और जिसकी बुद्धि ही नष्ट होगयी उसका सर्वनाश होगया ,ऐसा मानना चाहिये ||
[3/4, 20:06] ‪+91 98975 65893‬: 🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
*********|| जय श्री राधे ||*********
🌺🙏 *महर्षि पाराशर पंचांग* 🙏🌺
🙏🌺🙏 *अथ  पंचांगम्* 🙏🌺🙏

*दिनाँक -:05/03/2017*
अष्टमी, शुक्ल पक्ष
फाल्गुन
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""(समाप्ति काल)

तिथि------ अष्टमी27:59:12  तक
पक्ष-------------- शुक्ल
नक्षत्र------रोहिणी21:00:29
योग------विश्कुम्भ19:10:53
करण-----विष्टि भद्र17:02:09
करण-------- भाव27:59:12
वार--------------रविवार
माह------------- फाल्गुन
चन्द्र राशि-----------वृषभ
सूर्य राशि----------- कुम्भ
रितु निरयन---------वसन्त
रितु सायान---------- ग्रीष्म
आयन----------  उत्तरायण
संवत्सर------------दुर्मुख
संवत्सर (उत्तर)----------------सौम्य
विक्रम संवत--------- 2073
विक्रम संवत (कर्तक)---------2073
शाका संवत--------- 1938

वृन्दावन
सूर्योदय--------- 06:40:47
सूर्यास्त--------- 18:20:51
दिन काल-------- 11:40:04
रात्री काल--------12:18:52
चंद्रोदय---------  11:33:53
चंद्रास्त---------  25:21:22

लग्न--- कुम्भ  20°33' , 320°33'

सूर्य नक्षत्र------  पूर्वाभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र--------- रोहिणी
नक्षत्र पाया----------लोहा

*🚩💮🚩पद, चरण🚩💮🚩*

वा  रोहिणी  09:43:373

वी  रोहिणी  15:21:464

वु रोहिणी  21:00:291

वे  मृगशीर्षा  26:39:50

*💮🚩💮ग्रह गोचर💮🚩💮*

ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
=======================
सूर्य=कुम्भ 20° 33 ' पू oभा o,  4 सू
चन्द्र=वृषभ 14° 51'  रोहिणी ' 2 वा
बुध=कुम्भ 18 ° 49'   शतभिषा, 4 सू
शुक्र=मीन 19 ° 03'   रेवती  ,  1 दे
मंगल=मेष  02° 19'  अश्विनी ' 1 चु
गुरु=कन्या  27 ° 59'   चित्रा ,   2 पो
शनि=धनु 02 ° 53'      मूल '   1 ये
राहू=सिंह   08 ° 59'    मघा  ,  3  मू
केतु=कुम्भ 08°59 ' शतभिषा, 1 गो

*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*

राहू काल 16:53 - 18:21अशुभ
यम घंटा 12:31 - 13:58अशुभ
गुली काल 15:26 - 16:53अशुभ
अभिजित 12:07 -12:54शुभ
दूर मुहूर्त 16:48 - 17:34अशुभ

💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:41 - 08:08अशुभ
चाल 08:08 - 09:36शुभ
लाभ 09:36 - 11:03शुभ
अमृत 11:03 - 12:31शुभ
काल 12:31 - 13:58अशुभ
शुभ 13:58 - 15:26शुभ
रोग 15:26 - 16:53अशुभ
उद्वेग 16:53 - 18:21अशुभ

🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:21 - 19:53शुभ
अमृत 19:53 - 21:26शुभ
चाल 21:26 - 22:58शुभ
रोग 22:58 - 24:30*अशुभ
काल 24:30* - 26:03*अशुभ
लाभ 26:03* - 27:35*शुभ
उद्वेग 27:35* - 29:07*अशुभ
शुभ 29:07* - 30:40*शुभ

*नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान-----------पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गेंहू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*🚩अग्नि वास ज्ञान  -:*

8 + 1 + 1 = 10 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*💮 शिव वास एवं फल -:*

8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान भूमि = मृत्यु कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

सायं  17:03   तक  समाप्त

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*लड्डूओं की होली श्री जी मन्दिर बरसाना

* होलाष्टक प्रारम्भ

*💮🚩💮शुभ विचार💮🚩💮*

परकार्यविहन्ता च दाम्भिकः स्वार्थसाधकः ।
छली द्वेषी मृदुक्रूरो विप्रो मार्जार उच्यते ।।चा o नी o।।

  वह ब्राह्मण जो दुसरो के काम में अड़ंगे डालता है, जो दम्भी है, स्वार्थी है, धोखेबाज है, दुसरो से घृणा करता है और बोलते समय मुह में मिठास और ह्रदय में क्रूरता रखता है, वह एक बिल्ली के समान है.

*🚩💮🚩सुभाषितानि🚩💮🚩*

गीता -: विश्वरूप दर्शन योग अo-11

अदृष्टपूर्वं हृषितोऽस्मि दृष्ट्वा भयेन च प्रव्यथितं मनो मे।,
तदेव मे दर्शय देवरूपंप्रसीद देवेश जगन्निवास ॥,

मैं पहले न देखे हुए आपके इस आश्चर्यमय रूप को देखकर हर्षित हो रहा हूँ और मेरा मन भय से अति व्याकुल भी हो रहा है, इसलिए आप उस अपने चतुर्भुज विष्णु रूप को ही मुझे दिखलाइए।, हे देवेश! हे जगन्निवास! प्रसन्न होइए॥,45॥,

*💮🚩दैनिक राशिफल🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत्।।

🐑मेष
व्यय बढ़ेगा। मान-प्रतिष्ठा की हानि होगी। हानि-दुर्घटना से बचें। शत्रु सक्रिय होंगे। व्यापार-व्यवसाय धीमा चलेगा। प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच सकती है।

🐂वृष
रुका हुआ धन वापस आएगा। शत्रु शांत रहेंगे। यात्रा लाभकारी रहेगी। नौकरी-इंटरव्यू में सफलता मिलेगी। बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी।

👫मिथुन
पुरानी योजनाएं लाभ देंगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। व्यापार-निवेश से लाभ होगा। शत्रु परास्त होंगे। संपत्ति की खरीद-फरोख्त हो सकती है।

🦀कर्क
राजकीय कार्य से लाभ होगा। धर्म-कर्म में खर्च होगा। जोखिमभरे कार्य में रुचि बढ़ेगी। यात्रा से लाभ होगा। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे।

🐅सिंह
पुराने विवाद सुलझेंगे, शांति बनाए रखें। कार्य होने से मन प्रसन्न रहेगा। नौकरी, इंटरव्यू में सफलता मिलेगी। पराक्रम से लाभ होगा।

💁कन्या
नौकरी-व्यापार निवेश से लाभ होगा। विरोधी शांत रहेंगे। यात्रा लाभकारी रहेगी। यात्रा में सावधानी रखें। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। भोजन का आनंद मिलेगा।

⚖तुला
व्यापार-नौकरी ठीक चलेंगे। निवेश में सावधानी रखें। संतान पक्ष की चिंता बढ़ेगी। शत्रु शांत रहेंगे। विवाद, दुर्घटना, चोरी आदि से हानि संभव है।

🦂वृश्चिक
मेहमाननवाजी का सुख मिलेगा। बुद्धिजीवियों को कार्य में सफलता मिलेगी। शत्रु शांत रहेंगे। शरीर शिथिल रहेगा। मेहनत अधिक होगी।

🏹धनु
शत्रु परेशान करेंगे। प्रतिष्ठा धूमिल हो सकती है। कार्य में रुकावट आएगी। जोखिमभरे कार्य टालें। यात्रा में हानि संभव है।

🐊मकर
जोखिमभरे कार्य सतर्कता से करें। पराक्रम से लाभ होगा। शत्रु परेशान करेंगे। शरीर साथ नहीं देगा।चोरी आदि से हानि संभव है। चिंता रहेगी।

🍯कुंभ
दुष्ट व्यक्ति कष्ट देंगे। यात्रा में सावधानी रखें। व्यापार-व्यवसाय व नौकरी ठीक चलेंगे। जोखिम न उठाएं। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी।

🐠मीन
व्यापार-निवेश लाभ देंगे। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेंगे। यात्रा से लाभ होगा। पराक्रम वृद्धि होगी। न्यायालयीन प्रकरण में अनुकूलता होगी।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺
*आचार्य  नीरज  पाराशर (वृन्दावन)*
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
09897565893 , 09412618599
[3/4, 20:17] P anuragi. ji: 🌳सर्वेभ्यो शुभ संध्या🌳

       महिदेवताओं के चरणारविन्द में मन मधुप को प्रतिस्थापित कर आत्मानंद की अनुभूति करते हुए प्रथमतः धर्मार्थ के पावन अजिर में पधारे शुक सदृश विप्र कुल भूषण आचार्य नीरज जी पारासर का अभिनन्दन करता हूँ । आप श्री के शुभागमन से धर्मार्थ का यह उपवन निश्चित ही सुकुसुमित होगा और सुगंध से लाभान्वित हम सब होंगे । शमिति।
               अनुरागी जी
[3/4, 20:17] पं रोहित: श्री मान्! रोहित पाराशर का भी प्रणाम स्वीकार हो ....
आशा है कि आप मुझे पहचान गये होंगें।।
[3/4, 20:36] पं रोहित: ।।भागवत में लिखी ये 10 भयंकर बातें।।
 

1.ततश्चानुदिनं धर्मः सत्यं शौचं क्षमा दया ।कालेन बलिना राजन् नङ्‌क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥ 
 

इस श्लोक का अर्थ है कि कलयुग में धर्म, स्वच्छता, सत्यवादिता, स्मृति, शारीरक शक्ति, दया भाव और जीवन की अवधि दिन-ब-दिन घटती जाएगी.
 

2.वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः ।धर्मन्याय व्यवस्थायां कारणं बलमेव हि ॥
 

इस गीता के श्लोक का अर्थ है की कलयुग में वही व्यक्ति गुनी माना जायेगा जिसके पास ज्यादा धन है. न्याय और कानून सिर्फ एक शक्ति के आधार पे होगा!   
 

3.  दाम्पत्येऽभिरुचि  र्हेतुः मायैव  व्यावहारिके । स्त्रीत्वे  पुंस्त्वे च हि रतिः विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥

 
इस श्लोक का अर्थ है की कलयुग में इस्त्री-पुरुष बिना विवाह के केवल रूचि के अनुसार ही रहेंगे. व्यापार की सफलता के लिए मनुष्य छल करेगा और ब्राह्मण सिर्फ नाम के होंगे.
 

4. लिङ्‌गं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् ।अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं पाण्डित्ये चापलं वचः ॥ 

 
इस श्लोक का अर्थ है की घूसदेने वाले व्यक्ति ही न्याय पा सकेंगे और जो धन नहीं खर्च पायेगा उसे न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खानी होंगी. स्वार्थी और चालाक लोगों को कलयुग में विद्वान माना जायेगा. 
 

5. क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव संतप्स्यन्ते च चिन्तया ।त्रिंशद्विंशति वर्षाणि परमायुः कलौ नृणाम.
  

कलयुग में लोग कई तरह की चिंताओं में घिरे रहेंगे. लोगों को कई तरह की चिंताए सताएंगी और मनुष्य की उम्रघटकर सिर्फ 20-30 साल की रह जाएगी. 

 
6. दूरे वार्ययनं तीर्थं लावण्यं केशधारणम् ।उदरंभरता स्वार्थः सत्यत्वे धार्ष्ट्यमेव हि॥
 

लोग दूर के नदी-तालाबों और पहाड़ों को तीर्थ स्थान की तरह जायेंगे लेकिन अपनी हीमाता पिता का अनादर करेंगे. सर पे बड़े बाल रखनाखूबसूरती मानी जाएगी और लोग पेट भरने के हर तरह के बुरे काम करेंगे. 
 

7. अनावृष्ट्या  विनङ्‌क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिताः शीतवातातपप्रावृड् हिमैरन्योन्यतः  प्रजाः ॥ 
 

इस श्लोक का अर्थ है की कलयुग में बारिश नहीं पड़ेगी और हर जगह सूखा होगा.मौसम बहुत विचित्र अंदाज़ ले लेगा. कभी तो भीषण सर्दीहोगी तो कभी असहनीय गर्मी. कभी आंधी तो कभी बाढ़ आएगी और इन्ही परिस्तिथियों से लोग परेशान रहेंगे. 
 

8. अनाढ्यतैव असाधुत्वे साधुत्वे दंभ एव तु ।स्वीकार एव चोद्वाहे स्नानमेव प्रसाधनम् ॥ 

 
कलयुग में जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा उसे लोग अपवित्र, बेकार और अधर्मी मानेंगे. विवाह के नाम पे सिर्फ समझौता होगा और लोग स्नान को ही शरीर का शुद्धिकरण समझेंगे. 
 

9. दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् ।एवं प्रजाभिर्दुष्टाभिः आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥ 

 
लोग सिर्फ दूसरो के सामने अच्छा दिखने के लिए धर्म-कर्म के काम करेंगे. कलयुग में दिखावा बहुत होगा और पृथ्वी पे भृष्ट लोग भारी मात्रा में होंगे. लोग सत्ता या शक्ति हासिल करने के लिए किसी को मारने से भी पीछे नहीं हटेंगे. 
 

10. आच्छिन्नदारद्रविणा यास्यन्ति गिरिकाननम् ।शाकमूलामिषक्षौद्र फलपुष्पाष्टिभोजनाः ॥ 
 

पृथ्वी के लोग अत्यधिक कर और सूखे के वजह से घर छोड़ पहाड़ों पे रहने के लिए मजबूर हो जायेंगे. कलयुग में ऐसा वक़्त आएगा जब लोग पत्ते, मांस, फूल और जंगली शहद जैसी चीज़ें खाने को मजबूर होंगे. 
    

भागवत ये बातें इस कलयुग में सच होती दिखाई दे रही है. आपसे अनुरोध है की इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर कीजिये ताकि हर भारतीय को पता चले की हिन्दू धर्म कितना पुराना है. हमें गर्व है की श्रीऋषियों ने पृथ्वी पे आकर कलयुग की भविष्यवाणी इतनी पहले ही कर दी थी, लेकिन फिर भी आज का मनुष्य अभी तक कोई सबक नहीं ले पाया.
[3/4, 21:19] P anuragi. ji: सादर नमो नमः
🌺🙏🏼🌺

मुनिवर अतिथि प्राणप्रिय पाये ।
कंद मूल फल  सुरस     मंगाए।।

     क्षमा करेंगे । अतिथि द्वय  आचार्य श्रेष्ठ विप्रवंशावतंश श्री सुभाष जी एवं स्वनामधन्य शिवा जी का अभिनन्दन पहुनाई के उपरान्त कर रहा हूँ ।

        आचार्य द्वय
          आपश्री  का
            आपके ही
               उपवन में
                अंतर्मन से
                  अभिनन्दन है
                   🙏🏼अनुरागी जी🙏🏼
[3/4, 21:25] P anuragi. ji: अनुज आपको साधुवाद!!!!
   
पारमहंसीय समुदाय को
    श्री भागवत जी से चुनकर मोती  परोसने का ।।
[3/4, 21:30] आचार्य मंगलेश्वर त्रिपाठी: धर्मार्थ वार्ता समाधान संघ में नवागन्तुक महोदय श्रीमान् सुभाषचंद्र शर्मा जी श्रीमान शिवा त्रिपाठी जी एवं श्रीमान नीरज परासर जी का मैं मंगलेश्वर त्रिपाठी इस धर्मार्थ रुपी उपवन में हार्दिक स्वागत अभिनंदन करता हूँ और आशा करता हूँ कि आप सदैव इस परिवार को अपना मानकर हम सबको अनुग्रहीत करते रहेंगे।
स्वागतम्🌸🙏🏻🌸
                  सुस्वागतम्🌸🙏🏻🌸
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          🌻 🙏🏻🌻

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