एक संत जी
की फटी धोती देखकर
एक व्यक्ति सुई धागा ले आया। साधु ने कहा कि सुई
धागा यहीं रख दो, मैं खुद
लँगोटी सिल लूँगा। साधुने अपने हाथों से
लँगोटी सील ली।
दूसरे दिन वह व्यक्ति आया तो महाराज जी ने
उसको सुई धागा लौटा दिया। वह
व्यक्ति बोला कि इसकी फिर
कभी भी जरूरत पड़
सकती है, इसलिये पास में सुई
धागा रहना चाहिये। महाराज जी ने कहा कि इस
`चाहिये` को मिटाने के लिये ही तो हम यहाँ जंगल
में आये हैं। इस सुई धागे को यहाँ से ले जाओ। यह `चाहिये`
हमे नहीं चाहिये, क्यों कि इच्छा तो अगर सुई के
नोक बराबर भी रह
गयी तो संसार में दोबारा जन्म लेना पड़ेगा।
Tuesday, December 6, 2016
एक संत जी
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