Monday, December 5, 2016

हरि ॐ तत्सत्! सुप्रभातम्।

हरि हरि ॐ तत्सत्!  सुप्रभातम्। ॐ तत्सत्!  सुप्रभातम्। भगवदनुग्रहात्सर्वे जनाः पुरुषार्थं परमार्थं च कुर्वन्तः स्व-जीवनं सानन्दं यापयन्तु।

वित्तमेव कलौ नृणाम् - केवल एक मात्र धन ही कलियुग में  सब कुछ है।

हम चाहे जैसे केवल धनाढ्य हों जायें, लोक और लोग हमारे धन-वैभव से प्रभावित होकर हमें आदर-सम्मान दें।
स्मरण रहे- सुसंस्कृत, सुसंस्कार,  कुलीनता,  सुशिक्षा  या सद्ज्ञान जहाँ उपेक्षित हों तथा धर्म-शास्त्रों की मर्यादाअों से कोई लेना-देना न हो, यह स्वभाव या विचार जहाँ दृश्ययमान हों, वहाँ निश्चित ही कलियुग का वास रहता है। अतः सावधानी होनी चाहिये।
॥ सत्यसनातधर्मो  विजयतेतराम् ॥

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