Sunday, March 6, 2016

न प्रहॄष्यति सन्माने 
नापमाने च कुप्यति।
न क्रुद्ध: परूषं ब्रूयात् 
स वै साधूत्तम: स्मॄत:॥

जो सम्मान करने पर हर्षित न हों और अपमान करने पर क्रोध न करें, क्रोधित होने पर कठोर वचन न बोलें, उनको ही सज्जनों में श्रेष्ठ कहा गया है॥

सुप्रभात🙏🏻🙏🏻🙏🏻

No comments:

Post a Comment