Tuesday, March 1, 2016

रोहित प्रसार जी
धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूत कहौ, जोलहा कहौ कोऊ ।
काहूकी बेटीसो बेटा न ब्याहब, काहूकी जाति बिगार न सोऊ॥
तुलसी सरनाम गुलामु है रामको, जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।
माँगि कै खैबौ, मसीतको सोइबो, लैबोको एकु न दैबेको दोऊ॥
चाहे कोई धूर्त कहे अथवा परमहंस कहे; राजपूत कहे या जुलाहा कहे, मुझे किसी की बेटी से तो बेटे का ब्याह करना नहीं है, न मैं किसी से सम्पर्क रख कर उसकी जाति ही बिगाड़ूँगा। तुलसीदास तो राम का प्रसिद्ध गुलाम है, जिसको जो रुचे सो कहो। मुझको तो माँग के खाना और मस्जिद में सोना है; न किसी से एक  लेना है, न दो देना है।

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