भगवान को ''सुमन''और ''नमन''दोनों ही बहुत प्रिय है, इसलिए प्रभु को सुमन समर्पित करके नमन किया जाता हैं...
सुमन का अर्थ केवल पुष्प ही नहीं होता,
सुमन का तात्पर्य-
सु +मन = सुंदर मन से भी है,
अर्थात- सुन्दर मन ही सुमन है,
भगवान धन नहीं माँगते वे हमसे हमारा सुन्दर मन ही माँगते हैं....
जब हम आराध्य के चरणों में सिर झुकाते हैं नमन करते हैं तब
न मन होते हैं हम
न= नहीं मन
अर्थात
उस समय हमारा मन हमारा नहीं होता, प्रभु का होता है,जब मन प्रभु में होगा तो न हर्ष होगा न शोक होगा, आंनद ही आनंद होगा..!!!!
No comments:
Post a Comment