Wednesday, February 15, 2017

दाने शक्तिः श्रुतौ भक्तिः गुरूपास्तिः गुणे रतिः ।

दाने शक्तिः श्रुतौ भक्तिः गुरूपास्तिः गुणे रतिः ।
दमे मतिः दयावृत्तिः षडमी सुकृताङ्कुराः ॥

दातृत्वशक्ति, वेदों में भक्ति, गुरुसेवा, गुणों की आसक्ति, (भोग में नहि पर) इंद्रियसंयम की मति, और दयावृत्ति – इन छे बातों में सत्कार्य के अंकुर हैं ।इन्हीं से भगवद्भक्ति का उदय होता है।

कुल - द्रव्येषु या भक्तिः, सा मोक्ष ... इस प्रकार की जो भक्ति होती है, वही मोक्षदायिनी मानी गई है ।

          –जय श्रीमन्नारायण।

No comments:

Post a Comment