हरि ॐ तत्सत्! शुभं भूयात्सर्वदा।
सज्जन व्यक्ति कौन?
जिसके सदाचारण को देखकर, समझकर और सुनकर ,दुराचारी , पापाचारी और अत्याचारी व्यक्ति, अपने दुराचारण को छोड़ने के लिए बाध्य हो जाय, पलायन कर जाय या प्रायश्चित् करके सदाचारण को अपना ले, वही सज्जन है।
यह सज्जन की सार्वभौम परिभाषा श्रीमद्भगवदीता जी के अनुसार है-
" परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। "
साधुपुरुषों की रक्षा और दुष्टों का समूल विनाश।
तीन सजावत देश को सती सन्त और शूर।
तीन लजावत देश को कपटी कायर क्रूर॥
प्रणयोगी महाराणा प्रताप ,कर्मयोगी क्षत्रपति शिवाजी, क्रान्तिशिरोमणि वीर सावरकर, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, शूरवीर मंगल पाण्डेय, चन्द्रशेखर "आज़ाद" सरदार भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, और पं राम प्रसाद मिश्र "बिस्मिल" आदि विचार वाले सज्जनों का सदाचरण हमें अपनाना होगा, तभी देश की संस्कृति, गरिमा और उसके हितों के मानविन्दुअों की हम रक्षा कर सकेंगे।
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