जो पिता के पैरों को छूता है वो कभी गरीब नहीं होता।
जो मां के पैरों को छूता है वो कभी बदनसीब नही होता।
जो भाई के पैरो को छूता है वो कभी गमगीन नही होता।
जो बहन के पैरों को छूता है वो कभी चरित्र हीन नहीं होता
जो गुरू के पैरों को छूता है उस जैसा कोई खुशनशीब नहीं होता।
"धर्मार्थ वार्ता समाधान संघ"
पं.मंगलेश्वर त्रिपाठी✍
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