Sunday, July 17, 2016

एक आदमी के पास बहुत जायदाद थी|

एक आदमी के पास बहुत जायदाद थी| उसके कारण रोज घर मे कोई-न-कोई झगड़ा होता रहता था| बेचारा वकीलों और अदालत के चक्कर के मारे परेशान था|
उसकी स्त्री अक्सर बीमार रहती थी| वह दवाइयां खा-खाकर जीती थी और डॉक्टरों के मारे उसकी नाक में दम था| 
एक दिन पति-पत्नी में झगड़ा हो गया| पति ने कहा - "मैं लड़के को वकील बनाऊंगा, जिससे वह मुझे सहारा दे सके|"
स्त्री बोली - "मैं उसे डॉक्टर बनाउंगी, जिससे वह मेरी रात-दिन की परेशानी को दूर कर सके|"
दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़ गए| बात बढ़ती गई तो दोनों चिल्ला-चिल्लाकर बोलने लगे| उनकी आवाज सुनकर राह चलते लोग रुक गए|
उन्होंने दोनों की बातें सुनीं| बोले - "आखिर लड़के से तो पूछो कि वह क्या बनना चाहता है? बुलाओ उसे, हम पूछ लेते हैं|"
उनका सवाल सुनकर पति-पत्नी का गुस्सा ठण्डा पड़ गया| लड़का था कहां! वह तो अभी पैदा होना था| 
इस कहानी का तात्पर्य यह कि व्यर्थ की लड़ाई बिन सिर पाव की तरह है इससे हमेशा बचें !
"धर्मार्थ वार्ता समाधान संघ"
पं. मंगलेश्वर त्रिपाठी✍

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