इस संसार रूपी वृक्ष की समस्त योनियाँ रूपी शाखाएँ नीचे और ऊपर सभी ओर फ़ैली हुई हैं, इस वृक्ष की शाखाएँ प्रकृति के तीनों गुणों द्वारा विकसित होती है, इस वृक्ष की इन्द्रिय-विषय रूपी कोंपलें है, इस वृक्ष की जड़ों का विस्तार नीचे की ओर भी होता है जो कि सकाम-कर्म रूप से मनुष्यों के लिये फल रूपी बन्धन उत्पन्न करती हैं।
जब हम फल की इच्छा से कर्म करते हैं तब सकाम-फल यानि दुख-सुख रूपी विष के समान विषय-भोगों की प्राप्ति होती है, इस फल को भोगने के लिये हमें बार-बार जन्म लेना पड़ता है।
जब हम बिना फल की इच्छा से कर्म करते हैं तब निष्काम-फल यानि अमृत-फल की उत्पत्ति होती है जिसे प्राप्त कर हम परम-आनन्द अवस्था में स्थित होकर जन्म-मृत्यु चक्र से मुक्त हो परमगति को प्राप्त हो सकते हैं।
Monday, August 22, 2016
इस संसार रूपी वृक्ष की समस्त योनियाँ रूपी शाखाएँ
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