Wednesday, May 4, 2016

प्रेरक कथा

एक ज्ञानी संत जी थे. दूसरों के दुख दूर करने में उन्हें परम आनंद प्राप्त होता था एक बार वह सरोवर के किनारे ध्यान में बैठे हुए थे तभी उन्होंने देखा एक बिच्छू पानी में डूब रहा है. उन्होंने जैसे ही बिच्छू को पानी से निकालने के लिए उठाया उसने स्वामी को डंक मारना शुरू कर दिया और वह संत के हाथों से छूट कर पुनः पानी में गिर गया स्वामी ने फिर कोशिश की परंतु वह जैसे ही उसे उठाते. बिच्छू डंक मारने लगता है ऐसा बहुत देर तक चलता रहा. परंतु संत ने भी हार नहीं मानी और अंततः उन्होंने बिच्छू के प्राण बचा लिए और उसे पानी से बाहर निकाल लिया. वही एक अन्य व्यक्ति इस पूरी घटना को ध्यान से देख रहा था | जब संत सरोवर से बाहर आए तब उस व्यक्ति ने पूछा स्वामी मैंने देखा आपने किस तरह जहरीले बिच्छू के प्राण बचाए, बिच्छू को बचाने के लिए अापने अपने प्राण खतरे में डाल दिए, जब वह बार-बार डंक मार रहा था तो फिर आपने उसे क्यों बचाया. इस प्रश्न को सुनकर स्वामी मुस्कुराए और फिर बोले बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना, और मनुष्य का धर्म है दूसरों की मदद करना जब विच्छू नासमझ हो होते हुए भी अपना डंक मारने का स्वभाव अंत समय तक नहीं छोड़ रहा है !तो मैं मनुष्य होते हुए भी दूसरों की मदद करने का मेरा स्वभाव कैसे छोड़ देता, बिच्छू के डंक मारने से मुझे पीड़ा हो रही है परंतु उसकी जान बचाकर मुझे जो परम आनंद प्राप्त हुआ उससे मैं बहुत खुश हूं बहुत ही आनंदित हूं !
इस लिये हर मनुष्य को,दूसरे का भला ही सोचना चाहिये,चाहे दूसरा आपके प्रति कितना भी बुरा सोंचे !

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