Sunday, October 16, 2016

हरि:ॐ तत्त्सत् सुप्रभातम्

हरि:ॐ तत्त्सत् सुप्रभातम्
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देवे दत्वा तु दानानि देवे दत्वा तु दक्षिणाम्।तत्सर्वं बाह्मणं दद्यादन्यथा विफलं भवेत्।।(निर्णय सिन्धु १२३/७/१५

अर्थ--:भगवान को अर्पण किया गया दान एवं दक्षिणा,मूलत: ब्राह्मण को दे देना चाहिये! अन्यथा किये गये पूजन का फल शून्य हो जाता है! तथा भगवान को चढ़ाया हुआ दक्षिणा स्वयं अपने पास रख लेने से किये गये पूजन का संपूर्ण फल ब्राह्मण को प्राप्त होता है!

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